कि उसकी आत्म जागीर किसी सनामी-अनामी- गुमनामी की मोहताज नहीं। कि उसकी आत्म जागीर किसी सनामी-अनामी- गुमनामी की मोहताज नहीं।
कुछ भी तो यहां नहीं बदला है, सब वैसा ही है जैसा तुम छोड़ गयी थी, मैं वैसा ही हूँ जैसा तुम्हें पसंद न ... कुछ भी तो यहां नहीं बदला है, सब वैसा ही है जैसा तुम छोड़ गयी थी, मैं वैसा ही हूँ ...
ये दिल कल भी आपसे बेपनाह मोहब्बत करता था, आज भी करता है, ये दिल कल भी आपसे बेपनाह मोहब्बत करता था, आज भी करता है,
गुमसुम - सी है ये कलियाँ हमारी, तोड़ो न इनको नन्ही है बेचारी। गुमसुम - सी है ये कलियाँ हमारी, तोड़ो न इनको नन्ही है बेचारी।
आँखें बरस रहीं हैं, जब से चले गए हो। आँखें बरस रहीं हैं, जब से चले गए हो।
अद्भुत सा आत्मिक बंधन, अद्भुत सा आत्मिक बंधन,